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शनिवार, 10 जून 2023

वाह क्या राजधर्म पालन किया गया

 वाह क्या राजधर्म पालन किया गया..

साधो: साधो: साधो:


नर+ इंद्र मोदी साधुवाद आपको व आपके सिपहसालारों को....

🙏🙏🚩🚩🙏🙏

धन्य हो भारतीयों...

जो हमने मोदी के युग में जन्म लिया है...

मोदीयुग में जन्म लेना एक सौभाग्य ही है..


वो भागा नहीं इस्तीफा देकर अपने राजधर्म से...

उसने स्वयं को झोंककर राष्ट्र को एक साजिश से मात्र 51 घण्टे में ही उबार लिया....

उसने अपने राजा को भी विपक्षी गिद्धों के द्वारा घेरने से बचा लिया...

एयरकंडीशनर आफिस में बैठकर रेलवे का आधुनिकीकरण करता रेल मंत्री... पसीने में लथपथ पार्थिव देह से निकलने वाले खून से भीगने से नहीं डरा...

बोगियों में घुस गया अपने यात्रियों को बचाने के लिए....


ऐसा राजधर्म पालन किया है....

जो कि न भूतो: न भविष्ययति:प्रतीत हुआ मुझे.....

🚩🚩🙏🙏🚩🚩

बालासोर ट्रेन दुर्घटना दुखान्तिका..

साजिश थी हजारों लोगों को मारकर मोदी के विकासशील भारत नवनिर्माण को रोकने की...

हादसे होते रहेंगे...

 जनहानि भी होती रही है

 और होती रहेगी...

अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी विमान आपस में टकराना, ट्रेनों के आगे कारें व ट्रकें टकराना,गलत टारगेट पर हमले हो जाना... आम जनता द्वारा गोलीबारी कर देना... आतंकी हमले हो जाना...

यह सब मानव जीवन के आधुनिक विज्ञान के उपकरणों के उपयोग करने के नफे नुकसान व सुख सुविधाओं का सिक्के का दूसरा पहलू है...

जो कि पूरे ब्रह्मांड में चलता रहता है और चलता रहेगा....


मगर इस बार हुई रेल त्रासदी से राजधर्म पालन करने के बहुत से उदाहरण प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए हैं...

ये दुर्घटना के बाद के घटनाक्रम को बारीकी से देखने के बाद समझ आ रहा है...

खड़ी मालगाड़ी ट्रेन की लूप लाइन(मात्र 750 मीटर की पटरी, जो कि मालगाड़ी खड़ी करने व इंजन आदी को ठहराने के लिए बनाई जाती है) पर होने के बावजूद जानबूझकर लूप लाइन पर 130 KM स्पीड से चल रही एक्सप्रेस ट्रेन को सिग्नल दे दिया गया...

ट्रेन लूप लाइन पर आने के कुछ सेकंड बाद पुनः रेड सिग्नल कर दिया गया...

स्पीड से ट्रेन को लोको पायलट द्वारा रोकने की पुरजोर कोशिश के बाद भी सवारी गाड़ी मालगाड़ी से टकरा गई..

इस ट्रेन में इतनी जनहानि नहीं हुई थी...

परन्तु साजिशकर्ता को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से चलने वाले इंटरलॉकिंग सिस्टम से पता था कि मालगाड़ी से टकराने के समय ही उसकी पास वाली लाइन पर एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन भी आएगी....

मालगाड़ी से टकराई सवारी गाड़ी की बोगियाँ पास से गुजर रही एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों से जरूर टकराएंगी...

2 सवारी गाड़ियों में कम से कम 2 हजार सवारी तो जरूर होगी यह बात साजिशकर्ता जानता था...

उसको अनुमान था कि इस रेल दुर्घटना में कम से कम 1000लोग मारे जाएंगे और विपक्ष मोदी सरकार को कटघरे में घेर लेगी....

माहौल मोदीविरोधी बनाया जाएगा और 2024 के चुनावों में विपक्षी दलों को ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल के साथ कांग्रेसिया नेतृत्व में मोदी को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा......


साजिश रची गई थी और साजिश को अंजाम भी दे दिया गया...

ट्रेन की बोगियाँ आपस में टकराई और 21वीं सदी का सबसे बड़ा व सबसे भीषण रेल हादसा अंजाम दे दिया गया....


असली खेला तो तब शुरू हुआ जब रेल दुर्घटना के बाद मोदी सरकार बैकफुट पर नहीं धकेल पाए सारे विपक्षी दल मिलकर भी...


बाजी पलट दी मोदी की सूझबूझ से, मोदी के सिपहसालारों ने...

रेल मंत्री स्वयं रात में ही घटनास्थल पर जा डटे...

स्वयं के हाथों से घायलों को बाहर निकालने में जुट गए...

मंत्रियों के इस्तीफे व मंत्रियों के प्रोटोकॉल के कांग्रेसिया खेल की जगह राष्ट्रवादियों का राजधर्म उभर कर जनता के सामने आने लगा...

एक रेल मंत्री स्वयं प्रोटोकॉल तोड़कर आम नागरिक की तरह अपने लोगों को बचाने के लिए बिखरी पड़ी बोगियों में घुस गया...

कई लोगों को स्वयं ही उठाकर बाहर निकालने लग गया....

एक तपस्वी की तरह धैर्य धारण करते हुए अपना राजधर्म पालन करते रेल मंत्री को देखकर आसपास के आम नागरिक मानवीय मूल्यों की पराकाष्ठा का प्रदर्शन करते हुए घायलों को निकालने के लिए उठ खड़े हुए....

राजा का सिपहसालार वहीं पर डट गया राहत बचाव कार्य के लिए.... आम जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी राष्ट्र को इस रेल दुर्घटना से तत्काल प्रभाव से उबारने के लिए....

एक तरफ घायलों के साजोसामान को लूटने व चोरी होने से बचाने के लिए स्वयंसेवकों व अन्य सनातनी संगठनों के योद्धाओं को तत्काल प्रभाव से बुलाया गया..

साजोसामान एक तरफ इकट्ठा करने का काम किया गया...

मृतकों की पार्थिव देह को बाहर निकालने के साथ साथ घायलों को अस्पताल भेजने, उनका प्राथमिक उपचार करने में राजा व प्रजा ने कंधे से कंधा मिलाकर पूरी ताकत झोंक दी...


एक साजिशकर्ता के द्वारा किए गए षड्यंत्र के कारण 275 लोग अकाल मौत के आगोश में समा गए..1000लोग घायल हो गए.... ट्रेन में सेवा दे रहे अलग अलग महकमे व सुरक्षा बल के सरकारी नौकर,रेलवे के कर्मचारी भी कालकलवित हो गए....

जिस रेल्वे ने उसे सरकारी नौकरी दी, रोजी रोटी कमाने व अपना परिवार पालने की सारी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई...

उसी रेल्वे को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान उस हरामखोर, नमकहराम साजिशकर्ता ने कर दिया...

जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया मोदीविरोध में अंधा होकर....


साजिशकर्ता को अंदाजा था कि वो मोदी को घेरने का अवसर प्रदान कर रहा है विपक्षी दलों को...

परन्तु राजधर्म पालन करने वाले राष्ट्रवादियों के आगे सारी साजिश निष्फल हो गई...

भारतीय रेलवे के इतिहास में एक आश्चर्यजनक घटना देखने को मिली कि रेल दुर्घटना के घटनास्थल पर देश का प्रधानमंत्री अपने सभी सरकारी कामकाज व कार्यक्रमों को स्थगित करते हुए स्वयं अपनी प्रजा के दुखदर्द बांटने के लिए हिन्दूराजा स्वयं घटना स्थल पर जा पहुंचे...

अपने सिपहसालार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव व धर्मेंद्र प्रधान को उनके मानवीय मूल्यों के राजधर्म पालन करने का हौसला बढ़ाने के साथ साथ हादसे में घायल प्रजा की कुशलक्षेम पूछी व मृतकों के कालकन्द्रित दुःखी परिजनों को ढांढस बंधाया....


इस प्रकार दुर्घटना के मात्र 20 घण्टे में ही पार्थिव देह व घायलों, तथा यात्रियों के साजो सामान को सुरक्षित वहां से हटाने में सफलता प्राप्त कर ली....

साथ ही 1000कर्मचारियों को काम पर लगाकर दुर्घटना के अगले 51 घण्टे में ही नई पटरी बिछाकर उस पर पुनः रेल यातायात शुरू करवा दिया गया...


विश्व देख रहा था कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना के मात्र 51 घण्टे बाद हिन्दू राजा नरेंद्र मोदी ने अपने सिपहसालारों व हजारों कर्मयोगी राष्ट्रहितैषी नागरिकों व सरकारी अधिकारियों व सरकारी कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र को एक साजिश से उबार लिया...

विश्व देख रहा था कि मात्र 51घण्टे बाद घटनास्थल पर बनाई गई नई रेल पटरी पर माल गाड़ी का इंजन पूरी लोड हुई मालगाड़ी के साथ आ रहा था और भारत का रेल मंत्री हाथ जोड़कर अपने राजा के आदेशानुसार धर्मसम्मत राजधर्म का पालन करते हुए हजारों नागरिकों के द्वारा किए गए मानवीय कर्तव्यनिष्ठ राहत बचाव अभियान में भागीदारी निभाने व पुरानी क्षतिग्रस्त पटरियों व बोगियों को हटाकर उनकी जगह नई पटरी बिछाकर उस पर पुनः रेल संचालन शुरू करने वाले रेलवे केकर्मचारियों व सभी सरकार के महकमों के सरकारी कर्मचारियों के कर्मयोग का हाथ जोड़कर अभिनन्दन कर रहे हैं.....


एक वयोवृद्ध हिन्दूराजा को अपनी प्रजा के दुख की घड़ी में माथे पर लकीरें लिए चेहरे से भी राष्ट्रदेश जारी करते हुए समस्त विश्व देख रहा है....

कर्मयोग को हाथ जोड़ते रेल मंत्री को भी समस्त विश्व देख रहा है...

ये ही तो सनातन संस्कृति है....

यही तो राजधर्म है....


🖋️..वाह क्या राजधर्म पालन किया गया..

साधो: साधो: साधो:


नर+ इंद्र मोदी साधुवाद आपको व आपके सिपहसालारों को....

🙏🙏🚩🚩🙏🙏

धन्य हो भारतीयों...

जो हमने मोदी के युग में जन्म लिया है...

मोदीयुग में जन्म लेना एक सौभाग्य ही है..


वो भागा नहीं इस्तीफा देकर अपने राजधर्म से...

उसने स्वयं को झोंककर राष्ट्र को एक साजिश से मात्र 51 घण्टे में ही उबार लिया....

उसने अपने राजा को भी विपक्षी गिद्धों के द्वारा घेरने से बचा लिया...

एयरकंडीशनर आफिस में बैठकर रेलवे का आधुनिकीकरण करता रेल मंत्री... पसीने में लथपथ पार्थिव देह से निकलने वाले खून से भीगने से नहीं डरा...

बोगियों में घुस गया अपने यात्रियों को बचाने के लिए....


ऐसा राजधर्म पालन किया है....

जो कि न भूतो: न भविष्ययति:प्रतीत हुआ मुझे.....

🚩🚩🙏🙏🚩🚩

बालासोर ट्रेन दुर्घटना दुखान्तिका..

साजिश थी हजारों लोगों को मारकर मोदी के विकासशील भारत नवनिर्माण को रोकने की...

हादसे होते रहेंगे...

 जनहानि भी होती रही है

 और होती रहेगी...

अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी विमान आपस में टकराना, ट्रेनों के आगे कारें व ट्रकें टकराना,गलत टारगेट पर हमले हो जाना... आम जनता द्वारा गोलीबारी कर देना... आतंकी हमले हो जाना...

यह सब मानव जीवन के आधुनिक विज्ञान के उपकरणों के उपयोग करने के नफे नुकसान व सुख सुविधाओं का सिक्के का दूसरा पहलू है...

जो कि पूरे ब्रह्मांड में चलता रहता है और चलता रहेगा....


मगर इस बार हुई रेल त्रासदी से राजधर्म पालन करने के बहुत से उदाहरण प्रजा के सामने प्रस्तुत हुए हैं...

ये दुर्घटना के बाद के घटनाक्रम को बारीकी से देखने के बाद समझ आ रहा है...

खड़ी मालगाड़ी ट्रेन की लूप लाइन(मात्र 750 मीटर की पटरी, जो कि मालगाड़ी खड़ी करने व इंजन आदी को ठहराने के लिए बनाई जाती है) पर होने के बावजूद जानबूझकर लूप लाइन पर 130 KM स्पीड से चल रही एक्सप्रेस ट्रेन को सिग्नल दे दिया गया...

ट्रेन लूप लाइन पर आने के कुछ सेकंड बाद पुनः रेड सिग्नल कर दिया गया...

स्पीड से ट्रेन को लोको पायलट द्वारा रोकने की पुरजोर कोशिश के बाद भी सवारी गाड़ी मालगाड़ी से टकरा गई..

इस ट्रेन में इतनी जनहानि नहीं हुई थी...

परन्तु साजिशकर्ता को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से चलने वाले इंटरलॉकिंग सिस्टम से पता था कि मालगाड़ी से टकराने के समय ही उसकी पास वाली लाइन पर एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन भी आएगी....

मालगाड़ी से टकराई सवारी गाड़ी की बोगियाँ पास से गुजर रही एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों से जरूर टकराएंगी...

2 सवारी गाड़ियों में कम से कम 2 हजार सवारी तो जरूर होगी यह बात साजिशकर्ता जानता था...

उसको अनुमान था कि इस रेल दुर्घटना में कम से कम 1000लोग मारे जाएंगे और विपक्ष मोदी सरकार को कटघरे में घेर लेगी....

माहौल मोदीविरोधी बनाया जाएगा और 2024 के चुनावों में विपक्षी दलों को ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल के साथ कांग्रेसिया नेतृत्व में मोदी को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल जाएगा......


साजिश रची गई थी और साजिश को अंजाम भी दे दिया गया...

ट्रेन की बोगियाँ आपस में टकराई और 21वीं सदी का सबसे बड़ा व सबसे भीषण रेल हादसा अंजाम दे दिया गया....


असली खेला तो तब शुरू हुआ जब रेल दुर्घटना के बाद मोदी सरकार बैकफुट पर नहीं धकेल पाए सारे विपक्षी दल मिलकर भी...


बाजी पलट दी मोदी की सूझबूझ से, मोदी के सिपहसालारों ने...

रेल मंत्री स्वयं रात में ही घटनास्थल पर जा डटे...

स्वयं के हाथों से घायलों को बाहर निकालने में जुट गए...

मंत्रियों के इस्तीफे व मंत्रियों के प्रोटोकॉल के कांग्रेसिया खेल की जगह राष्ट्रवादियों का राजधर्म उभर कर जनता के सामने आने लगा...

एक रेल मंत्री स्वयं प्रोटोकॉल तोड़कर आम नागरिक की तरह अपने लोगों को बचाने के लिए बिखरी पड़ी बोगियों में घुस गया...

कई लोगों को स्वयं ही उठाकर बाहर निकालने लग गया....

एक तपस्वी की तरह धैर्य धारण करते हुए अपना राजधर्म पालन करते रेल मंत्री को देखकर आसपास के आम नागरिक मानवीय मूल्यों की पराकाष्ठा का प्रदर्शन करते हुए घायलों को निकालने के लिए उठ खड़े हुए....

राजा का सिपहसालार वहीं पर डट गया राहत बचाव कार्य के लिए.... आम जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी राष्ट्र को इस रेल दुर्घटना से तत्काल प्रभाव से उबारने के लिए....

एक तरफ घायलों के साजोसामान को लूटने व चोरी होने से बचाने के लिए स्वयंसेवकों व अन्य सनातनी संगठनों के योद्धाओं को तत्काल प्रभाव से बुलाया गया..

साजोसामान एक तरफ इकट्ठा करने का काम किया गया...

मृतकों की पार्थिव देह को बाहर निकालने के साथ साथ घायलों को अस्पताल भेजने, उनका प्राथमिक उपचार करने में राजा व प्रजा ने कंधे से कंधा मिलाकर पूरी ताकत झोंक दी...


एक साजिशकर्ता के द्वारा किए गए षड्यंत्र के कारण 275 लोग अकाल मौत के आगोश में समा गए..1000लोग घायल हो गए.... ट्रेन में सेवा दे रहे अलग अलग महकमे व सुरक्षा बल के सरकारी नौकर,रेलवे के कर्मचारी भी कालकलवित हो गए....

जिस रेल्वे ने उसे सरकारी नौकरी दी, रोजी रोटी कमाने व अपना परिवार पालने की सारी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई...

उसी रेल्वे को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान उस हरामखोर, नमकहराम साजिशकर्ता ने कर दिया...

जिस थाली में खाया उसी में छेद कर दिया मोदीविरोध में अंधा होकर....


साजिशकर्ता को अंदाजा था कि वो मोदी को घेरने का अवसर प्रदान कर रहा है विपक्षी दलों को...

परन्तु राजधर्म पालन करने वाले राष्ट्रवादियों के आगे सारी साजिश निष्फल हो गई...

भारतीय रेलवे के इतिहास में एक आश्चर्यजनक घटना देखने को मिली कि रेल दुर्घटना के घटनास्थल पर देश का प्रधानमंत्री अपने सभी सरकारी कामकाज व कार्यक्रमों को स्थगित करते हुए स्वयं अपनी प्रजा के दुखदर्द बांटने के लिए हिन्दूराजा स्वयं घटना स्थल पर जा पहुंचे...

अपने सिपहसालार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव व धर्मेंद्र प्रधान को उनके मानवीय मूल्यों के राजधर्म पालन करने का हौसला बढ़ाने के साथ साथ हादसे में घायल प्रजा की कुशलक्षेम पूछी व मृतकों के कालकन्द्रित दुःखी परिजनों को ढांढस बंधाया....


इस प्रकार दुर्घटना के मात्र 20 घण्टे में ही पार्थिव देह व घायलों, तथा यात्रियों के साजो सामान को सुरक्षित वहां से हटाने में सफलता प्राप्त कर ली....

साथ ही 1000कर्मचारियों को काम पर लगाकर दुर्घटना के अगले 51 घण्टे में ही नई पटरी बिछाकर उस पर पुनः रेल यातायात शुरू करवा दिया गया...


विश्व देख रहा था कि 21वीं सदी की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना के मात्र 51 घण्टे बाद हिन्दू राजा नरेंद्र मोदी ने अपने सिपहसालारों व हजारों कर्मयोगी राष्ट्रहितैषी नागरिकों व सरकारी अधिकारियों व सरकारी कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र को एक साजिश से उबार लिया...

विश्व देख रहा था कि मात्र 51घण्टे बाद घटनास्थल पर बनाई गई नई रेल पटरी पर माल गाड़ी का इंजन पूरी लोड हुई मालगाड़ी के साथ आ रहा था और भारत का रेल मंत्री हाथ जोड़कर अपने राजा के आदेशानुसार धर्मसम्मत राजधर्म का पालन करते हुए हजारों नागरिकों के द्वारा किए गए मानवीय कर्तव्यनिष्ठ राहत बचाव अभियान में भागीदारी निभाने व पुरानी क्षतिग्रस्त पटरियों व बोगियों को हटाकर उनकी जगह नई पटरी बिछाकर उस पर पुनः रेल संचालन शुरू करने वाले रेलवे केकर्मचारियों व सभी सरकार के महकमों के सरकारी कर्मचारियों के कर्मयोग का हाथ जोड़कर अभिनन्दन कर रहे हैं.....


एक वयोवृद्ध हिन्दूराजा को अपनी प्रजा के दुख की घड़ी में माथे पर लकीरें लिए चेहरे से भी राष्ट्रदेश जारी करते हुए समस्त विश्व देख रहा है....

कर्मयोग को हाथ जोड़ते रेल मंत्री को भी समस्त विश्व देख रहा है...

ये ही तो सनातन संस्कृति है....

यही तो राजधर्म है

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