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शनिवार, 15 जनवरी 2011

मकर संक्रान्ति भारत के अन्य क्षेत्रों में भी धार्मिकउत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पंजाब में इसे लो़ढ़ी कहते हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में नई फसल की कटाई के अवसर पर मनाया जाता है। पुरुष और स्त्रियाँ गाँव के चौक पर उत्सवाग्निके चारों ओर परम्परागत वेशभूषा में लोकप्रिय नृत्य भांगड़ा का प्रदर्शन करते हैं। स्त्रियाँ इस अवसर पर अपनी तलहथियों और पाँवों पर आकर्षक आकृतियों में मेहन्दी रचती हैं।पश्चिम बंगाल में मकर सक्रांति के दिन देश भर के तीर्थयात्री गंगा सागर द्वीप पर एकत्र होते हैं , जहाँ गंगा बंगाल की खाड़ी में मिलजाती है। एक धार्मिक मेला , जिसे गंगासागर मेला कहते हैं , इस समारोह की महत्वपूर्ण विशेषता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस संगम पर डुबकी लगाने से सारा पाप धुल जाता है।

कर्नाटक में भी फसल का त्योहार शान से मनाया जाता है।बैलों और गायों को सुसज्जित कर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है। नये परिधान में सजेनर-नारी , ईख , सूखा नारियल और भुनेचने के साथ एक दूसरे का अभिवादन करते हैं। पंतगबाजी इस अवसर का लोकप्रिय परम्परागतखेल है।

गुजरात का क्षितिज भी संक्रान्ति के अवसर पर रंगबिरंगेपंतगों से भर जाता है। गुजराती लोग संक्रान्ति को एक शुभ दिवस मानते हैं और इस अवसरपर छात्रों को छात्रवृतियाँ और पुरस्कार बाँटते हैं।

केरल में भगवान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला की वार्षिक तीर्थयात्रा की अवधि मकर संक्रान्ति के दिन ही समाप्त होती है , जब सुदूर पर्वतों के क्षितिजपर एक दिव्य आभा मकर ज्योति दिखाई पड़ती है।

मकर संक्रान्ति भारत के भिन्न-भिन्न लोगों के लिए भिन्न-भिन्नअर्थ रखती है। किन्तु सदा की भॉंति , नानाविध उत्सवों को एक साथ पिरोनेवाला एक सर्वमान्य सूत्रहै , जो इस अवसर को अंकित करता है। यदि दिवाली ज्योति का पर्व है तो संक्रान्ति शस्य पर्व है , नई फसल का स्वागत करने तथा समृद्धि व सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करने का एक अवसर है।

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